1007
जो छूट गया वो पाना होगा ।
पथ एक नया बनाना होगा ।
दिनकर के ढलने ने से पहले,
संकल्पों को दोहराना होगा ।
...."निश्चल"@...
1008
आज़ाद करो आज ख़यालों को ।
न उलझाओ और सवालों को ।
गहन निशा तम के ढलते ही तुम ,
लेकर साथ चलो भोर उजालों को ।
ढूंढ रहा कोई राह पथिक पथ पर ,
सहलाता अपने पाँव के छालों को ।
भाया न कल जब कोई किसी को
देते है वो क्यों आज मिशालों को ।
...."निश्चल"@...
डायरी 7
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