शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

आजाद करो ख्यालो को



 


1007

जो छूट गया वो पाना होगा ।

पथ एक नया बनाना होगा ।

दिनकर के ढलने ने से पहले,

संकल्पों को दोहराना होगा ।

...."निश्चल"@...

1008

आज़ाद करो आज ख़यालों को ।

न उलझाओ और सवालों को ।


गहन निशा तम के ढलते ही तुम ,

लेकर साथ चलो भोर उजालों को ।


ढूंढ रहा कोई राह पथिक पथ पर ,

सहलाता अपने पाँव के छालों को ।


भाया न कल जब कोई किसी को 

देते है वो क्यों आज मिशालों को ।

...."निश्चल"@...

डायरी 7


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