बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

हे परम् पिता


हेआदि अनादि जगत नियंता ।

हे महादेव हर संकट हंता ।


प्रलय यहीं फिर उत्पत्ति ।

है यही श्री हरि की शक्ति ।


जब कांपी सृष्टि असुरो के भय से,

तब देता जगत पिता तू ही शक्ति ।


शेष कही जब कोई आस नही ,

साहस देती है तब तेरी भक्ति ।


मिलता हल हर संकट का,

परम पिता सुझाते तुम युक्ति ।


करुण पुकार सुनो "निश्चल"की,

पा जाऊँ में हर संकट से मुक्ति ।


....विवेक दुबे"निश्चल"@....

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