गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

कुछ शेर

 


जितना तू बे-ज़िक्र रहेगा ।

 उतना तू बे-फ़िक्र रहेगा ।


चल छोड़ दे फिक्रें कल की ।

न छीन खुशियाँ इस पल की ।


न कर रश्क़ अपने रंज-ओ-मलाल से ।

कर तर खुदी को ख़ुशी के गुलाल से ।


दर्या हूँ वह जाऊँगा समंदर की चाह में ।

मिलेगा बजूद मेरा कही किसी निगाह में ।

.....

सहारे गर्दिश-ऐ-फ़रियाद में ,

रिश्तों की बुनियाद हुआ करते हैं ।

....


ज़ीवन की संभावनाएं ,

 पल प्रतिपल शेष हैं ।

ज़ीवन के रहते मिटता नही ,

 कुछ भी विशेष है ।


....विवेक दुबे"निश्चल"@..


वक़्त कब कहाँ मेरा रहा ।

इतना ही जहां मेरा रहा ।

..."निश्चल"...

डायरी 7

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