सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

994/1000

 994

एक चित्र उभार ले ।

हृदय राम उतार ले ।

सहज सब हो जायेगा ,

 प्रीत राम निखार ले ।

..... विवेक दुबे"निश्चल"@..

995

तृष्णा हो हरि नाम की ,ऐसा हो मन का भाव ।

पा जायेगा सब आप ही, हरि हो जब साथ ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@...

रायसेन

996

माँ कैसी है तू ,इतना तो पूछा जा सकता है ।

इस दुनियाँ में, इतना वक़्त तो पा सकता है ।

स्वर्थ भरी दुनियाँ में,साथ रहे न जब कोई ,

माँ के आँचल में,जब चाहे तब आ सकता है ।

......विवेक दुबे"निश्चल"@....

997

कुछ कब होता है ।

कुछ कब होना है ।

छूट रहे कुछ प्रश्नों में ,

एक प्रश्न यही संजोना है ।

गूढ़ नही कुछ कोई ,

रजः को रजः पे सोना है ।

-----

998

हे अज्ञान ज्ञान के बासी ।

तू खोज रहा मथुरा काशी ।

तुझे श्याम मिलेंगे मन भीतर ,

तेरा मन देखे जिसकी झांकी ।

.

... विवेक दुबे"निश्चल"@.

डायरी 7

999

चन्द्रिका  छंद

विधान-111, 111, 221, 221, 2

सुमिरन मन से राम का कीजिये ।

सहज कर सभी श्याम पे रीझिये ।


सजल नयन राधा रटे श्याम को ।

सरल बन मिला मोहना राम सो ।


   .. विवेक दुबे"निश्चल"@...

1000

चंद्रिका छंद

111 111   2   21 221 2

नटखट मुरली ,श्याम तेरी बड़ी ।

सरल मन सखी ,राधिका से डरी ।


सजल नयन से , श्याम राधा यहीं ।

चित बिसरत सो, आज ढूंढे कहीं ।


... विवेक दुबे"निश्चल"@...



कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...