रविवार, 14 फ़रवरी 2021

मुक्तक 956/60

956

 न कोई मलाल रखिये ।

 न कोई ख़्याल रखिये ।

 शिकवा न हो किसी से ,

दिल इतना विशाल रखिये ।

.....विवेक दुबे"निश्चल"@...

957

न जीत के उन्माद में ।

न हार के प्रतिकार में ।

खो जाता है हर कल ,

बस आज के आज में ।

...विवेक दुबे"निश्चल"@..

958

  बिन चेहरों के कभी,  

   पहचान नही होती ।

  सरल बहुत ज़िंदगी, 

  पर आसान नही होती ।

 ... विवेक दुबे"निश्चल"@....

959

बस इतनी सी भीख चाहिए ।

आपको का आशीष चाहिए ।

 शब्द चले बस  "निश्चल " से

बस इतनी ही सीख चाहिए ।

..."निश्चल"@...

960

वो अल्फाज की सियासत ।

 ये अहसास की सदाक़त ।

 चलते रहे साथ उम्र सारी ,

 न रही कहीं कोई अदावत ।

...."निश्चल"@...

डायरी7

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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