956
न कोई मलाल रखिये ।
न कोई ख़्याल रखिये ।
शिकवा न हो किसी से ,
दिल इतना विशाल रखिये ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@...
957
न जीत के उन्माद में ।
न हार के प्रतिकार में ।
खो जाता है हर कल ,
बस आज के आज में ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
958
बिन चेहरों के कभी,
पहचान नही होती ।
सरल बहुत ज़िंदगी,
पर आसान नही होती ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
959
बस इतनी सी भीख चाहिए ।
आपको का आशीष चाहिए ।
शब्द चले बस "निश्चल " से
बस इतनी ही सीख चाहिए ।
..."निश्चल"@...
960
वो अल्फाज की सियासत ।
ये अहसास की सदाक़त ।
चलते रहे साथ उम्र सारी ,
न रही कहीं कोई अदावत ।
...."निश्चल"@...
डायरी7
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