रुक नहीं हार से मिल जरा ।
चल चले राह पे दिल जरा ।
मुश्किलें जीतता ही रहे ,
ख़ाक में फूल सा खिल जरा ।
उधड़ते ख़्याल ख्वाबों तले ,
खोल दे बात लफ्ज़ सिल जरा ।
आँख से दूर है अश्क़ क्युं ,
आस से देख नज़्र हिल जरा ।
खोजतीं ही रही जिंदगी ,
दूर सी पास मंजिल जरा ।
हारता क्युं रहा आप से ,
होंसला जीत "निश्चल"जरा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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