जीवन चलता चल है ।
जीवन भी तो जल है ।
ठहर नही तू छाँव तले ,
साँझ ढ़ले होता कल है ।
ढल जाता चलकर ही ,
आगम अगला पल है ।
सत्य नही ये कुछ भी ,
फ़िर ये कैसा छल है ।
जीवन की सरिता में ,
जीव सदा निर्मल है ।
अबूझ नही प्रश्न कोई ,
प्रश्न सभी का हल है ।
भृम भान यही भरता ,
निर्गम भी "निश्चल" है ।
......
बातों की ही बस बातें हैं ।
उलटे पड़ते अब पांसे है ।
करते बातें मीठी मीठी ,
समझ रहे सब झांसे है ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
जीवन भी तो जल है ।
ठहर नही तू छाँव तले ,
साँझ ढ़ले होता कल है ।
ढल जाता चलकर ही ,
आगम अगला पल है ।
सत्य नही ये कुछ भी ,
फ़िर ये कैसा छल है ।
जीवन की सरिता में ,
जीव सदा निर्मल है ।
अबूझ नही प्रश्न कोई ,
प्रश्न सभी का हल है ।
भृम भान यही भरता ,
निर्गम भी "निश्चल" है ।
......
बातों की ही बस बातें हैं ।
उलटे पड़ते अब पांसे है ।
करते बातें मीठी मीठी ,
समझ रहे सब झांसे है ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
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