839
हर नया कल आज सा रहा ।
ख़याल गुंजाइशें तलाशता रहा ।
डूबती उबरती कश्ती हसरतों की ,
दर्या-ए-सफ़र साहिल राबता रहा ।
...
840
मिलता ही रहा दर्या को ,
साथ किनारे का हरदम ।
छोड़ बहता ही चला दर्या ,
हाथ किनारे का हरदम ।
..
841
पाले जो ख्वाब छोड़ चल जरा ।
रुख हवाओं सा मोड़ चल जरा ।
बहता है दर्या किनारे छोड़कर ,
नाता साहिल से तोड़ चल जरा ।
.....
842
रिश्ते नातों के कागज पर ,
उम्मीदों की छोटी सी रेखा है ।
सूरज रंग बदलता धीरे-धीरे,
आते कल को किसने देखा है ।
.......
843
बस एक बार जो तू ठान ले ।
कैसे कहूँ के तू हार मान ले ।
जीत ले तू अपने ही आपको ,
खुद में सारी कायनात जान ले ।
.....
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 3
हर नया कल आज सा रहा ।
ख़याल गुंजाइशें तलाशता रहा ।
डूबती उबरती कश्ती हसरतों की ,
दर्या-ए-सफ़र साहिल राबता रहा ।
...
840
मिलता ही रहा दर्या को ,
साथ किनारे का हरदम ।
छोड़ बहता ही चला दर्या ,
हाथ किनारे का हरदम ।
..
841
पाले जो ख्वाब छोड़ चल जरा ।
रुख हवाओं सा मोड़ चल जरा ।
बहता है दर्या किनारे छोड़कर ,
नाता साहिल से तोड़ चल जरा ।
.....
842
रिश्ते नातों के कागज पर ,
उम्मीदों की छोटी सी रेखा है ।
सूरज रंग बदलता धीरे-धीरे,
आते कल को किसने देखा है ।
.......
843
बस एक बार जो तू ठान ले ।
कैसे कहूँ के तू हार मान ले ।
जीत ले तू अपने ही आपको ,
खुद में सारी कायनात जान ले ।
.....
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें