852
221 2122×2
इंसान ज़िस्म तेरी , चाहत नही बदलती ।
ईमान रूह मेरी , सोवत नही बदलती ।
करती रही सफ़र , यूँ ही जिंदगी अधूरा ,
ये शौक हैं पुराने , आदत नही बदलती ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
853
1222×4
निगाहे सामने जिसके
झुकाता ही रहा अपनी ।
वफ़ाएँ सामने जिसके
दिखाता ही रहा अपनी ।
इंसान ज़िस्म तेरी , चाहत नही बदलती ।
ईमान रूह मेरी , सोवत नही बदलती ।
करती रही सफ़र , यूँ ही जिंदगी अधूरा ,
ये शौक हैं पुराने , आदत नही बदलती ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
853
1222×4
निगाहे सामने जिसके
झुकाता ही रहा अपनी ।
वफ़ाएँ सामने जिसके
दिखाता ही रहा अपनी ।
मचलता ही रहा गैरों की
खातिर आब निकाह में ,
यही ईमान ज़िस्म वफ़ा
सजाता ही रहा अपनी ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
854
1222×4
निभाने आज मैं कसमें, वफ़ा की फिर चला आया ।
मिलाने खाक में रस्मे ,जफ़ा की फिर चला आया ।
वही दस्तूर है मेरे जहां का, आज भी कायम,
लिए फिर साथ सौगातें,शिफ़ा की फिर चला आया ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
855
221 2122 ×2
पाता रहे सहारा , इंसान आदमी का ।
होता रहे दुलारा , ईमान आदमी का ।
रंगीन रौशनी से , हो कायनात सारी ,
पाता रहे किनारा , गुमान आदमी का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
खातिर आब निकाह में ,
यही ईमान ज़िस्म वफ़ा
सजाता ही रहा अपनी ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
854
1222×4
निभाने आज मैं कसमें, वफ़ा की फिर चला आया ।
मिलाने खाक में रस्मे ,जफ़ा की फिर चला आया ।
वही दस्तूर है मेरे जहां का, आज भी कायम,
लिए फिर साथ सौगातें,शिफ़ा की फिर चला आया ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
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221 2122 ×2
पाता रहे सहारा , इंसान आदमी का ।
होता रहे दुलारा , ईमान आदमी का ।
रंगीन रौशनी से , हो कायनात सारी ,
पाता रहे किनारा , गुमान आदमी का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
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