बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

मुक्तक 860/861

860
दीपों से देखो अब तम भी हारा है ।
दीपों ने स्वयं को आज उजारा है ।
दूर हुए अँधियारे गहन निशा पथ के  ,
स्वयं ने स्वयं को जो दिया सहारा है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
861
जल गई बाती दीए में तेल से मिल कर ।
भर गई आभा तम में तन पिघल कर ।
 सम्पूर्ण कर गई अर्पण कान्ता स्वयं को ,
 राख में मिल गई ललना रात भर जल कर ।
   ... विवेक दुबे"निश्चल"@...

कान्ता /कामिनी/ललना /स्त्री

दिवाली/ दीपावली
Blog post 30/10/19

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