बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

मुक्तक 844/848

 844
 मुश्किलों के हल खोजने होंगे ।
  आज के ही कल खोजने होंगे ।
  न हारना चुनौतियों के सामने,
  हौसलों के पल खोजने होंगे ।
  .......
845
 मुश्किलों के हल खोजने होंगे ।
आज के भी कल खोजने होंगे ।
 न हराना नाकामियों के सामने ,
 सम्भाबनाओं के पल खोजने होंगे ।
  .... विवेक दुबे"निश्चल"@...
846
हर मुश्किल के हल होंगे ।
आज नही तो कल होंगे ।
इस धूप सुनहरे जीवन में ,
साथी खुशियों के पल होंगे ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@.....

847
रात गई फिर आने को ।
 बीती बातें बिसराने को ।
 डरकर ज़ीवन जीना कैसे ,
 ज़ीवन को जी जाने को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
848

रूह सख़्त मिज़ाज क्यूँ हूँ ।
 ज़िस्म पेहरन लिवास क्यूँ हूँ ।
 न रहेगा ज़िस्म तू साथ मेरे ,
 तो ज़िस्म गुरुर आज क्यूँ हूँ ।
 ..विवेक दुबे"निश्चल"@...

दायरी3

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