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बदल रहीं है रीते सारी ,
आज नही कल जैसा है ।
रिश्ते नातों के कागज पर ,
उम्मीदों की रेखा है ।
ढ़लता है दिन धीरे-धीरे ,
आते कल की आशा में ,
पर गहन निशा के आँचल में ,
कल को किसने देखा है ।
.......विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 7/3
बदल रहीं है रीते सारी ,
आज नही कल जैसा है ।
रिश्ते नातों के कागज पर ,
उम्मीदों की रेखा है ।
ढ़लता है दिन धीरे-धीरे ,
आते कल की आशा में ,
पर गहन निशा के आँचल में ,
कल को किसने देखा है ।
.......विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 7/3
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