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स्नेही माँ जग बरदायनी ।
ज्ञानदा धनदा सिद्धिदायनी ।
कण कण रूप तुम्हारा है ।
तम हरतीं प्रभा प्रदायनी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
स्नेही माँ जग बरदायनी ।
ज्ञानदा धनदा सिद्धिदायनी ।
कण कण रूप तुम्हारा है ।
तम हरतीं प्रभा प्रदायनी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
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