बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

सच्चाई के दाने

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 सच्चाई के दानों से ,
 संकल्पों के अंकुर फूटे ।

  गढ़ रहा है राष्ट्र नया ,
चलकर नई डगर पर ।

कदम धरे हैं सहज सहज कर ,
पथ पग चिन्हों से पीछे छूटे ।

धर्म वही है जात वही है ।
हर दिन की रात वही है ।

खुले नयन चला लक्ष्य साधकर ,
सत्य मार्ग पर कोई न आँखे मीचे ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 7
Blog post 30/11/19

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