इंतज़ार कुछ ज्यादा सा लगता है ।
बे-करार हर वादा सा लगता है ।
आ कर ही पास किनारों पर ,
साहिल प्यादा सा लगता है ।
छूटे जब ही हाथ किनारे से ।
साहिल का अंदाज़ा सा लगता है ।
पीता है आँसू अपनो की खातिर ,
यूँ तो सागर खारा सा लगता है ।
यहाँ जीत कहाँ है, है हार कहाँ ,
नही कहीं अंदाज़ा सा लगता है ।
आकर सागर से साहिल पर ,
माँझी भी तो हारा सा लगता है ।
"निश्चल" रहा इन्ही राहों पर ,
हर राह गुजारा सा लगता है ।
इंतज़ार कुछ ज्यादा सा लगता है ।
बे-करार हर वादा सा लगता है ।
... *विवेक दुबे"निश्चल"@*...
बे-करार हर वादा सा लगता है ।
आ कर ही पास किनारों पर ,
साहिल प्यादा सा लगता है ।
छूटे जब ही हाथ किनारे से ।
साहिल का अंदाज़ा सा लगता है ।
पीता है आँसू अपनो की खातिर ,
यूँ तो सागर खारा सा लगता है ।
यहाँ जीत कहाँ है, है हार कहाँ ,
नही कहीं अंदाज़ा सा लगता है ।
आकर सागर से साहिल पर ,
माँझी भी तो हारा सा लगता है ।
"निश्चल" रहा इन्ही राहों पर ,
हर राह गुजारा सा लगता है ।
इंतज़ार कुछ ज्यादा सा लगता है ।
बे-करार हर वादा सा लगता है ।
... *विवेक दुबे"निश्चल"@*...
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