चामर छंद
212 121 212 121 212
7गुरु लघु+गुरु
रीत राग छोड़ तू जगा सभी अशेष को ।
आन मान प्राण से मिटा सभी कलेश को ।
पाथ साध पाँव से सजा सुरेश चाह को ।
प्रीत सींच हाथ से बना विशेष राह को ।
नाम काम त्याग दे सु-कर्म ही स-शेष हों ।
ज्ञान भाव साध ले स-कर्म का नरेश हो ।
जीत हार साधता सु-भाव का महेश हो ।
नाद प्यार पोषता दुलारता अशेष हो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(126)
212 121 212 121 212
7गुरु लघु+गुरु
रीत राग छोड़ तू जगा सभी अशेष को ।
आन मान प्राण से मिटा सभी कलेश को ।
पाथ साध पाँव से सजा सुरेश चाह को ।
प्रीत सींच हाथ से बना विशेष राह को ।
नाम काम त्याग दे सु-कर्म ही स-शेष हों ।
ज्ञान भाव साध ले स-कर्म का नरेश हो ।
जीत हार साधता सु-भाव का महेश हो ।
नाद प्यार पोषता दुलारता अशेष हो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(126)
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