शनिवार, 1 सितंबर 2018

मीठे वादों से

*अंसबधा छंद*
222 221  111 112 22

मीठे वादों से गरल कम नहीं होते ।
तीखे भावों से नयन नम नहीं होते ।
खो जाते हैं वो सब सजल नहीं होते ।
 छूटे साथी भी जब सरल नहीं होते ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
डायरी 5(131)
Blog post 1/9/18

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