चल देख लें जरा ।
चल सोच लें जरा ।
शब्द के सँग क्यों ,
अर्थ रह गया धरा ।
जीतकर इरादों से ,
एक शेर था पढ़ा ।
हारकर इशारों से ,
काफ़िया था गढ़ा ।
ग़जल-ए-बहारों में,
तख़ल्लुस ना जुड़ा।
रह गया अधूरा सा ,
नशा ग़जल ना चढ़ा ।
सोचता मैं रिंद क्युं ,
साक़ीया ना मुड़ा ।
रूठता ना रिंद जो ,
झूमती मयकदा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.
Blog post 17/8/18
डायरी 5(106)
चल सोच लें जरा ।
शब्द के सँग क्यों ,
अर्थ रह गया धरा ।
जीतकर इरादों से ,
एक शेर था पढ़ा ।
हारकर इशारों से ,
काफ़िया था गढ़ा ।
ग़जल-ए-बहारों में,
तख़ल्लुस ना जुड़ा।
रह गया अधूरा सा ,
नशा ग़जल ना चढ़ा ।
सोचता मैं रिंद क्युं ,
साक़ीया ना मुड़ा ।
रूठता ना रिंद जो ,
झूमती मयकदा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.
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