664
सफ़र इन राहों पर अनन्त विस्तार सा ।
मिलता हर मोड़ पर जीवन श्रृंगार सा ।
मिलता पथ उपवन तपन ढ़ले ही ,
हर्षित पथ तृष्णाओं के तृसकर सा ।
..विवेक दुबे"निश्चल"@...
666
हर हाल बे-हाल कचोटते रहे ।
कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे ।
चलते रहे सफ़र जिंदगी के ,
ये दिल हाल मगर रोज से रहे ।
.. विवेक दुबे"निश्चल"@...
667
यह कैसे कल की चाहत है ।
आज लम्हा लम्हा घातक है ।
उठ रहे हैं तूफ़ान खमोशी के ,
साहिल पे नही कोई आहट है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
668
शेष नही कही समर्पण है ।
मन कोने में टूटा दर्पण है ।
आश्रयहीन अभिलाषाएं ,
अश्रु नीर नयनो से अर्पण है ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@.
669
एक उम्र की तलाश सी ।
एक अधूरी सी आस सी ।
गुजरता रहा उम्र कारवां,
साथ लिए हसरत प्यास सी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सफ़र इन राहों पर अनन्त विस्तार सा ।
मिलता हर मोड़ पर जीवन श्रृंगार सा ।
मिलता पथ उपवन तपन ढ़ले ही ,
हर्षित पथ तृष्णाओं के तृसकर सा ।
..विवेक दुबे"निश्चल"@...
666
हर हाल बे-हाल कचोटते रहे ।
कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे ।
चलते रहे सफ़र जिंदगी के ,
ये दिल हाल मगर रोज से रहे ।
.. विवेक दुबे"निश्चल"@...
667
यह कैसे कल की चाहत है ।
आज लम्हा लम्हा घातक है ।
उठ रहे हैं तूफ़ान खमोशी के ,
साहिल पे नही कोई आहट है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
668
शेष नही कही समर्पण है ।
मन कोने में टूटा दर्पण है ।
आश्रयहीन अभिलाषाएं ,
अश्रु नीर नयनो से अर्पण है ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@.
669
एक उम्र की तलाश सी ।
एक अधूरी सी आस सी ।
गुजरता रहा उम्र कारवां,
साथ लिए हसरत प्यास सी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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