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कुछ कर लें ,
अपने मन की ।
डगर कठिन है,
इस जीवन की।
राह बदलतीं है ,
चौराहों पर ,
एक अनबन सी,
मन से तन की ।
दीप्त रहे फिर भी ,
ज्योत जले जीवन की ।
सिमेट चले तम को ,
दीप तले तम सी ।
आशाओं के हाथों ,
जीत हर से ,
खेल रही है ,
पल पल सी ।
डगर कठिन है ,
इस जीवन की।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(26)
कुछ कर लें ,
अपने मन की ।
डगर कठिन है,
इस जीवन की।
राह बदलतीं है ,
चौराहों पर ,
एक अनबन सी,
मन से तन की ।
दीप्त रहे फिर भी ,
ज्योत जले जीवन की ।
सिमेट चले तम को ,
दीप तले तम सी ।
आशाओं के हाथों ,
जीत हर से ,
खेल रही है ,
पल पल सी ।
डगर कठिन है ,
इस जीवन की।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(26)
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