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तलाश सी फुर्सत की ।
वक़्त की ग़ुरबत सी ।
देखते ही रहे आईना ,
निग़ाह से हसरत की ।
आरजू-ऐ-जिंदगी रही ,
वक़्त की करबट सी ।
चाहकर भी न मिली ,
चाहत सी मोहलत की ।
तलाशता रहा सफ़ऱ ,
शोहरत की दौलत सी ।
.... *विवेक दुबे"निश्चल"*@...
डायरी 6(30)
तलाश सी फुर्सत की ।
वक़्त की ग़ुरबत सी ।
देखते ही रहे आईना ,
निग़ाह से हसरत की ।
आरजू-ऐ-जिंदगी रही ,
वक़्त की करबट सी ।
चाहकर भी न मिली ,
चाहत सी मोहलत की ।
तलाशता रहा सफ़ऱ ,
शोहरत की दौलत सी ।
.... *विवेक दुबे"निश्चल"*@...
डायरी 6(30)
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