कुछ कहुँ अब मैं भी तेरे वास्ते ।
अब साथ नही है तू मेरे रास्ते ।
थम गया तू क्युं दिन गिनकर ।
दे चला अब अपना दिनकर ।
मैं चलूँगा कल उसे साथ लेकर ।
ठहर यही अलविदा साथ लेकर ।
होंगी यादें तेरी शख़्त कुछ बेहतर ।
कल तक तूने दी थी मेरी कहकर ।
चलूँगा यादें अब दिल में रखकर ।
बन सके आज कल से भी बेहतर ।
... निश्चल....
डायरी 6(104)
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