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उठाकर संग निगाहो,
में सामने आते है ।(आता कोई )
भरकर आब आंखों में ,
फिर मुस्कुराते है ।(आता कोई)
मैं कैसे कहुँ के दर्द नही ,
दिल में मेरे वास्ते ,
दास्तां दुआ की सुनाकर ,
अपना बनाते है ।(आता कोई)
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 3
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