सोमवार, 31 दिसंबर 2018

*नव आयाम मिलें नूतन वर्ष तले*

= *नव आयाम मिलें नूतन वर्ष तले* =

गीत ग़जल छंदो की हमजोली  ।
ये मन भावन सी काव्य रंगोली ।

सहज रही है आँचल में अपने ,
गंगा यमुनी घाट घाट की बोली ।

निर्मल नीर शब्द तरल से बहते ,
अर्पण करते भावों की झोली ।

 पृष्ठ खुलें जब काव्य रंगोली के ,
भान मिले हृदय किताब खोली ।

शृंगारित पृष्ठ पृष्ठ नव चिंतन से ,
ज्यों सजती नव दुल्हन की डोली ।

यही प्रार्थना करें कामना यही सदा ,
सृजित रहे सृजक जगत की टोली ।

काव्य सृजक खिलें हुरियारों से ,
नित खेलें काव्य विधा सँग होली  ।

प्रयास गढ़े नित चित्त नीरज ने ,
नव अरु रश्मि शतदल संजोली ।

नव आयाम मिले नूतन वर्ष तले ,
"निश्चल"खूब खिले काव्य रंगोली ।

   ... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6100)



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