सोमवार, 31 दिसंबर 2018

बरस बीत गया बातों बातों में ।

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बरस बीत गया बातों बातों में ।
दिन बने पल मुलाकातों में ।

 चाहत में मंजिल की अपनी अपनी  ,
 बढ़ते रहे कदम राह बरस साथों में ।

नव भोर तले फिर मिल कर ,
शोहरत मुराद भरें मुरादों में ।

कामना यही हृदय से इस बरस की,
हुनर बढ़ता ही रहे आपके हाथों में ।

मिल सफलता के गले नित नई ,
चाँदनी खिलती रहे आपकी रातों में ।

रहें जगमग दिन उजाले भोर के ,
न मिलें कांटे आपको पथों में ।

भाव खिले शब्द तले मिलकर ,
शारदे बिराजें आपकी तूलिका इरादों में ।
(समसि)
एक कामना यही हमारी सदा "निश्चल"
कदम पड़े आपके उन्नति के द्वारों में 

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(99)

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