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बरस बीत गया बातों बातों में ।
दिन बने पल मुलाकातों में ।
चाहत में मंजिल की अपनी अपनी ,
बढ़ते रहे कदम राह बरस साथों में ।
नव भोर तले फिर मिल कर ,
शोहरत मुराद भरें मुरादों में ।
कामना यही हृदय से इस बरस की,
हुनर बढ़ता ही रहे आपके हाथों में ।
मिल सफलता के गले नित नई ,
चाँदनी खिलती रहे आपकी रातों में ।
रहें जगमग दिन उजाले भोर के ,
न मिलें कांटे आपको पथों में ।
भाव खिले शब्द तले मिलकर ,
शारदे बिराजें आपकी तूलिका इरादों में ।
(समसि)
एक कामना यही हमारी सदा "निश्चल"
कदम पड़े आपके उन्नति के द्वारों में
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(99)
बरस बीत गया बातों बातों में ।
दिन बने पल मुलाकातों में ।
चाहत में मंजिल की अपनी अपनी ,
बढ़ते रहे कदम राह बरस साथों में ।
नव भोर तले फिर मिल कर ,
शोहरत मुराद भरें मुरादों में ।
कामना यही हृदय से इस बरस की,
हुनर बढ़ता ही रहे आपके हाथों में ।
मिल सफलता के गले नित नई ,
चाँदनी खिलती रहे आपकी रातों में ।
रहें जगमग दिन उजाले भोर के ,
न मिलें कांटे आपको पथों में ।
भाव खिले शब्द तले मिलकर ,
शारदे बिराजें आपकी तूलिका इरादों में ।
(समसि)
एक कामना यही हमारी सदा "निश्चल"
कदम पड़े आपके उन्नति के द्वारों में
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(99)
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