वो सफ़र ज़रा मुश्किल था ।
वो पत्थर नही मंज़िल था ।
निशां न थे कहीं क़दमों के ,
हौंसला फिर भी हाँसिल था ।
....
शाश्वत सत्य यही,
विधि विधान यही ।
मिलता मान सम्मान,
होता अपमान यहीं।
इस काव्य विधा के मधुवन में,
असल नक़ल की पहचान नही।
.... विवेक दुबे@...
वो पत्थर नही मंज़िल था ।
निशां न थे कहीं क़दमों के ,
हौंसला फिर भी हाँसिल था ।
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शाश्वत सत्य यही,
विधि विधान यही ।
मिलता मान सम्मान,
होता अपमान यहीं।
इस काव्य विधा के मधुवन में,
असल नक़ल की पहचान नही।
.... विवेक दुबे@...
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