शुक्रवार, 2 मार्च 2018

रंग खिले हैं होली के

रंग खिले हैं होली के ।
हर चहरे पे रंगोली से । 

कुछ भींगे भींगे यदों में ।
कुछ सच्चे कुछ पक्के से ,
 
रखे रह गए वादों के बर्तन में ,
 सजते कुछ अध कच्चे से ।

  झलकें साजन की यदों में  ।
  प्रीत रंग भरे आँचल से
 
 इस होली उतरे  आँगन में ,
 उड़ते यादों के आँचल से ।
 
अपने ही मन आँगन में ।
 खेले होली गोरी साजन से ।
 

 ... विवेक दुबे"निश्चल"@....
Blog post 2/3/18

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...