रंग खिले हैं होली के ।
हर चहरे पे रंगोली से ।
कुछ भींगे भींगे यदों में ।
कुछ सच्चे कुछ पक्के से ,
रखे रह गए वादों के बर्तन में ,
सजते कुछ अध कच्चे से ।
झलकें साजन की यदों में ।
प्रीत रंग भरे आँचल से
इस होली उतरे आँगन में ,
उड़ते यादों के आँचल से ।
अपने ही मन आँगन में ।
खेले होली गोरी साजन से ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
Blog post 2/3/18
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