सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

ज़िंदगी

तू रूठती तुझे मनाता ज़िंदगी ।
तुझसे बस इतना नाता ज़िंदगी ।
 चलता रहा अपना साथ यूँ ही ,
तुझे प्यार कब जताता जिंदगी ।
... 

मैं ख़्वाबों से निकलूं जरा ।
अपने गमों से उबरूं जरा ।
 ले आऊँ पल फुर्सत के जरा ,
 ज़िंदगी तुझे प्यार कर लूं जरा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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