धो डालो आज रंग वो सारे ।
लगते हैं अक्सर जो खारे ।
अश्कों की में बारिश घुलते जो ,
मीठा उन्हें भला कौन पुकारे ।
बहता पीर नीर अँखियों से ,
तब नदियाँ के कौन सहारे ।
तप्त धरा उस हृदय तल की ,
सावन सा उसे कौन सम्हाले ।
धो डालो आज....
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
लगते हैं अक्सर जो खारे ।
अश्कों की में बारिश घुलते जो ,
मीठा उन्हें भला कौन पुकारे ।
बहता पीर नीर अँखियों से ,
तब नदियाँ के कौन सहारे ।
तप्त धरा उस हृदय तल की ,
सावन सा उसे कौन सम्हाले ।
धो डालो आज....
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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