शोर बहुत है खिड़की खोल दो ।
बेकार को न ज्यादा मोल दो।
बिसात पर लगाकर दाव ,
प्यादों को जरा खोल दो ।
...
शोर बहुत है खिड़की खोल दो ।
बेकार को न ज्यादा मोल दो।
बिसात पर लगाता दाव ,
पांचाली को जरा बोल दो ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
बेकार को न ज्यादा मोल दो।
बिसात पर लगाकर दाव ,
प्यादों को जरा खोल दो ।
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शोर बहुत है खिड़की खोल दो ।
बेकार को न ज्यादा मोल दो।
बिसात पर लगाता दाव ,
पांचाली को जरा बोल दो ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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