कारवां के संग खुद कारवां सा हुआ ।
हर मुसाफ़िर मेरा ,नाख़ुदा सा हुआ ।
टकराने साहिल तन से सागर से दूर हुआ ।
बिखरा बूंद बूंद साहिल पे चूर चूर हुआ ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
हर मुसाफ़िर मेरा ,नाख़ुदा सा हुआ ।
टकराने साहिल तन से सागर से दूर हुआ ।
बिखरा बूंद बूंद साहिल पे चूर चूर हुआ ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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