फूल फूल मुरझाता सा ,
मन कुछ घबराता सा।
पाकर भी पँख पखेरू,
पर उड़ न पाता सा ।
....
फूल फूल मुरझाता सा ,
मन कुछ घबराता सा।
पाकर भी पँख पखेरू,
उड़ न पाता मन सा ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"..
मन कुछ घबराता सा।
पाकर भी पँख पखेरू,
पर उड़ न पाता सा ।
....
फूल फूल मुरझाता सा ,
मन कुछ घबराता सा।
पाकर भी पँख पखेरू,
उड़ न पाता मन सा ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"..
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