आओ कोई एक रंग चुने ऐसा ।
न हो कोई दूजा उसके जैसा ।
छुप जाए कालिख़ बैर भाव की ,
चढ़ जाए रंग प्रेम प्रीत का गहरा ।
आओ कोई एक रंग...
धुल जाएँ रंज-ओ-मलाला ,
उड़ाएं खुशियों की गुलाल ।
पी प्याला देशप्रेम मधुशाला से ,
मद नशा राष्ट्र प्रेम छा जाए ।
आओ कोई एक रंग...
प्रह्लाद बचे हम सबके मन भीतर ।
ज्वाल उठे जो होलिका दहन की ।
उस सँग हो जाए दहन होलिका ,
तेरे मेरे सबके कुंठित मन की ।
आओ कोई एक रंग....
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
न हो कोई दूजा उसके जैसा ।
छुप जाए कालिख़ बैर भाव की ,
चढ़ जाए रंग प्रेम प्रीत का गहरा ।
आओ कोई एक रंग...
धुल जाएँ रंज-ओ-मलाला ,
उड़ाएं खुशियों की गुलाल ।
पी प्याला देशप्रेम मधुशाला से ,
मद नशा राष्ट्र प्रेम छा जाए ।
आओ कोई एक रंग...
प्रह्लाद बचे हम सबके मन भीतर ।
ज्वाल उठे जो होलिका दहन की ।
उस सँग हो जाए दहन होलिका ,
तेरे मेरे सबके कुंठित मन की ।
आओ कोई एक रंग....
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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