सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने

   --पढ़ना लिखना छोड़ा मैंने---
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 हाँ पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने 
 पढ़ें लिखों को पीछे छोड़ दिया मैंने 
 बहुत कुछ सीख लिया मैंने 
 बहुत पढ़ा था मेरा भाई, 
बहना ने भी की खूब पढ़ाई ।
 बाबा ने लगा दाव सारी पूंजी लुटाई 
 धूल खा रही डिग्रियां सारी, 
न पाया कोई पद सरकारी  ।
 मजदूरी करे कैसे,
 डिग्रियां आड़े आये रोड़े जेसे ।
 बहना भी भटकी इधर उधर ,
 नही मिला कोई पद पर ।
 बेटी की उम्र हो रही ,
माँ बीमार पड़ी सोच सोच कर ।
 सो बिन सोचे समझे ब्याह रचाया,
बहना के चौका चूल्हा हिस्से आया ।
 तब ठाना मैंने मुझे कुछ कर जाना है अपना घर परिवार बचाना है ।
 सीख लिए तब मैंने दाव राजनीति के ।
  पढ़े लिखों को एक झटके में पीछे छोड़ा ।
 बाबा भाई बहन को सिक्कों से तौला। 
 बच्चों को भी तैयार किया है ,
 राजनीति का हरफ़नमौला ।
         .... विवेक दुबे"निश्चल"@....
      रायसेन म.प्

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