एक आस है उस चाँद की तलाश है ।
एक प्यास है यह चाँद ही अहसास है ।
....
वो इठलाता है आसमां पे ।
एक चाँद है जो आसमां पे ।
उतरता नहीं कभी जमीं पे ।
शर्माता है क्यों सुबह से ।
..
आया चंद्र पूर्व के छोर से ।
देखूँ मैं साजन की ओट से ।
बाँध अँखियन के पोर से ।
मन हृदय विश्वास डोर से ।
चौथ चंद्र खिला है ,
निखरा निखरा है ।
एक चंद्र गगन में ,
एक मन आँगन में।
जीती है जिसको वो,
पल पल प्रतिपल में।
श्रृंगारित तन मन से,
प्रण प्राण प्रियतम के ।
देखत रूप पिया का,
चंद्र गगन अँखियन से।
.....विवेक दुबे"निश्चल"©...
एक प्यास है यह चाँद ही अहसास है ।
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वो इठलाता है आसमां पे ।
एक चाँद है जो आसमां पे ।
उतरता नहीं कभी जमीं पे ।
शर्माता है क्यों सुबह से ।
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आया चंद्र पूर्व के छोर से ।
देखूँ मैं साजन की ओट से ।
बाँध अँखियन के पोर से ।
मन हृदय विश्वास डोर से ।
चौथ चंद्र खिला है ,
निखरा निखरा है ।
एक चंद्र गगन में ,
एक मन आँगन में।
जीती है जिसको वो,
पल पल प्रतिपल में।
श्रृंगारित तन मन से,
प्रण प्राण प्रियतम के ।
देखत रूप पिया का,
चंद्र गगन अँखियन से।
.....विवेक दुबे"निश्चल"©...
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