करते थे जो अच्छे दिन की बात ।
दिखलाते थे जो दिन में भी ख़्वाब ।
बीते दिन गुजरी रात बस इंतज़ार ,
गप्पो के सरताज गप्पो के सरताज ।
परोस रहे वो सजा सजा कर थाल ,
मीठे वादों की मीठी केसरिया भात ।
सज रही सेज सी फिर वो टूटी खाट ,
वादों और नारों से फिर गूंजा आकाश ।
होतीं फिर बही आज , लंबी लंबी बात ,
बनाते कल सुन्हेरा,जो बना सके न आज ।
देखो भर भर थैला लाए वो सौगात ,
बाँट रहे है खुले दिलों से वो ज़ज़्वात ।
आने बाले है शायद फिर ,
अब एक और आम चुनाव ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@...
दिखलाते थे जो दिन में भी ख़्वाब ।
बीते दिन गुजरी रात बस इंतज़ार ,
गप्पो के सरताज गप्पो के सरताज ।
परोस रहे वो सजा सजा कर थाल ,
मीठे वादों की मीठी केसरिया भात ।
सज रही सेज सी फिर वो टूटी खाट ,
वादों और नारों से फिर गूंजा आकाश ।
होतीं फिर बही आज , लंबी लंबी बात ,
बनाते कल सुन्हेरा,जो बना सके न आज ।
देखो भर भर थैला लाए वो सौगात ,
बाँट रहे है खुले दिलों से वो ज़ज़्वात ।
आने बाले है शायद फिर ,
अब एक और आम चुनाव ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@...
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