मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

यादों की जंजीरे


 यादों की जंजीरों से जकड़कर मुझे। 
 तुम भूल जाने का हक़ न दो मुझे ।

 फैली है खुश्बू-ऐ-चमन दूर तक,
 गुलशन का तसब्बुर न दो मुझे । 

 आया हूँ झोंका हवा का बस यूँ ही,
 खुशबू-ऐ-गुलशन नाम न दो मुझे ।

मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा शहर से तेरे ,
 अपने वाशिन्दों में यूँ जगह न दो मुझे ।

        कहता है कैद परिंदा मुझसे ।
        "निश्चल" छूने दो आसमाँ मुझे ।
         ..... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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