तपिश गुनगुनी धूप की ,
अहसासों के आँचल ।
गुलाबी सुबह सबेरे ,
बस एक ठंडी छाँव ।
वो यादों के गाँव ,
छूटे बिसराते ठाँव ।
वो थके कदम ,
यह *"निश्चल"* मन ।
यह साँसों की डोर ,
वो धुँधली सी भोर ।
बस यादें प्रीतम की ,
आस पिया मिलन की ।
बस इतनी ही धुन ,
मन मन की सुन ।
बंधन इस तन के ,
छूटे कैसे मन तन से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@..
अहसासों के आँचल ।
गुलाबी सुबह सबेरे ,
बस एक ठंडी छाँव ।
वो यादों के गाँव ,
छूटे बिसराते ठाँव ।
वो थके कदम ,
यह *"निश्चल"* मन ।
यह साँसों की डोर ,
वो धुँधली सी भोर ।
बस यादें प्रीतम की ,
आस पिया मिलन की ।
बस इतनी ही धुन ,
मन मन की सुन ।
बंधन इस तन के ,
छूटे कैसे मन तन से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@..
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