समय बदलता समय बदलकर ।
दिनकर चलता फिर ढलकर ।
तारे नभ में फिर से चमके ,
अपने रजनीचर से मिलकर ।
.
पाता ज़ीवन ज़ीवन को ,
फिर ज़ीवन से मिलकर ।
शास्वत सत्य यही है एक ,
ज़ीवन पाता ज़ीवन खोकर ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
दिनकर चलता फिर ढलकर ।
तारे नभ में फिर से चमके ,
अपने रजनीचर से मिलकर ।
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पाता ज़ीवन ज़ीवन को ,
फिर ज़ीवन से मिलकर ।
शास्वत सत्य यही है एक ,
ज़ीवन पाता ज़ीवन खोकर ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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