लिख गया मैं हर बात को ।
जीतकर हार के हालात को ।
चलती परछाइयां संग मेरे ,
छोड़ अपने ही प्रकाश को ।
जीत नहीं कसा मैं कभी ,
परछाइयों के आभास को ।
थक चला दिन अब तो ,
लिया संग अब रात को ।
पाएगा चैन कुछ पल को ,
दे आकाश अपने चाँद को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
जीतकर हार के हालात को ।
चलती परछाइयां संग मेरे ,
छोड़ अपने ही प्रकाश को ।
जीत नहीं कसा मैं कभी ,
परछाइयों के आभास को ।
थक चला दिन अब तो ,
लिया संग अब रात को ।
पाएगा चैन कुछ पल को ,
दे आकाश अपने चाँद को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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