387
जिंदगी उन्हें कभी हराती कैसे ।
साथ दुआएँ जो माँ की लेते ।
कदमों में उनके आकाश झुके ।
जिनके सर माँ के आशीष रुके ।
.....
388
ख़ुदा से माँगा नहीं कुछ मैंने ।
बस अपनी बंदगी पेश की है ।
सज़दे में गुनाह कबूल कर ,
रहम के लिए फैलाए हाथ हैं ।
....
389
लहरें चलतीं कल कल है ।
लहरों का तो चँचल दिल है ।
सहता लहरों की हलचल को ,
साहिल को क्या हाँसिल है ।
....
390
स्थितियाँ बदलतीं है
परिस्थितियाँ बदलतीं है ।
चित्र वही रहते है ।
भित्तियाँ बदलतीं है ।
....
391
डूबता रहा उभरता रहा ।
दरिया का इतना असर रहा ।
रात थी सितारों से सजी ,
नाम चाँद के हर सफऱ रहा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
जिंदगी उन्हें कभी हराती कैसे ।
साथ दुआएँ जो माँ की लेते ।
कदमों में उनके आकाश झुके ।
जिनके सर माँ के आशीष रुके ।
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388
ख़ुदा से माँगा नहीं कुछ मैंने ।
बस अपनी बंदगी पेश की है ।
सज़दे में गुनाह कबूल कर ,
रहम के लिए फैलाए हाथ हैं ।
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389
लहरें चलतीं कल कल है ।
लहरों का तो चँचल दिल है ।
सहता लहरों की हलचल को ,
साहिल को क्या हाँसिल है ।
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390
स्थितियाँ बदलतीं है
परिस्थितियाँ बदलतीं है ।
चित्र वही रहते है ।
भित्तियाँ बदलतीं है ।
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391
डूबता रहा उभरता रहा ।
दरिया का इतना असर रहा ।
रात थी सितारों से सजी ,
नाम चाँद के हर सफऱ रहा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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