प्रीत की रीत सजाई नैनन ने ।
कुछ बूंदे छलकाई नैनन ने ।
मुस्कान भरी फिर अधरन ने ।
फिर राह तकी फिर नैनन ने ।
तपती काया जलता मन ,
दूर देश बसे साजन ।
चटक चांदनी खिली गगन ,
नम आँखे व्यकुल मन ।
सूनी रातें सूना दिन ।
कटते नही तुम बिन ।
शोर करें आती जाती सांसे ,
आओ साजन आओ साजन ।
... विवेक दुबे..
कुछ बूंदे छलकाई नैनन ने ।
मुस्कान भरी फिर अधरन ने ।
फिर राह तकी फिर नैनन ने ।
तपती काया जलता मन ,
दूर देश बसे साजन ।
चटक चांदनी खिली गगन ,
नम आँखे व्यकुल मन ।
सूनी रातें सूना दिन ।
कटते नही तुम बिन ।
शोर करें आती जाती सांसे ,
आओ साजन आओ साजन ।
... विवेक दुबे..
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