शनिवार, 2 जून 2018

प्रीत की रीत

प्रीत की रीत सजाई नैनन ने ।
 कुछ बूंदे छलकाई नैनन ने ।
 मुस्कान भरी फिर अधरन ने ।
 फिर राह तकी फिर नैनन ने ।

 तपती काया जलता मन ,
  दूर देश बसे साजन  ।
 चटक चांदनी खिली गगन ,
 नम आँखे व्यकुल मन ।

 सूनी रातें सूना दिन ।
 कटते नही तुम बिन ।
 शोर करें आती जाती सांसे ,
 आओ साजन आओ साजन ।
... विवेक दुबे..

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