झुकी निग़ाह रखें ,बस सुने सब की ।
लब ख़ामोश रखे ,न कहे खुद की ।
उठा निग़ाह गर , तू कहे ख़ुद की ।
यह दुनियाँ फिक्र , न रखे उस की ।
..
न रख सटीक सवाल ,सामने जमाने के ।
बहाने ढूँढती दुनियाँ , तुझे मिटाने के ।
न सुनेगा सच ,कोई झूँठ की दुनियाँ में ,
भला क्या है तेरी ,सच की पुड़िया में ।
...
सच के रंग, आज छुपते स्याह जमानो में ।
न डालना रंग,किसी पर अपने बयानों में ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
लब ख़ामोश रखे ,न कहे खुद की ।
उठा निग़ाह गर , तू कहे ख़ुद की ।
यह दुनियाँ फिक्र , न रखे उस की ।
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न रख सटीक सवाल ,सामने जमाने के ।
बहाने ढूँढती दुनियाँ , तुझे मिटाने के ।
न सुनेगा सच ,कोई झूँठ की दुनियाँ में ,
भला क्या है तेरी ,सच की पुड़िया में ।
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सच के रंग, आज छुपते स्याह जमानो में ।
न डालना रंग,किसी पर अपने बयानों में ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
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