रविवार, 27 मई 2018

समय चला है समय से आगे

समय चला है समय से आगे ।
 सांझ निशा को भोर से मांगे ।
 गहन निशा अंधियारे गढ़कर,
 उजियारे उजियारो से मांगे ।

 समय चला है समय से आगे ।

 बीत रहा है समय समय से , 
 सीमा समय समय से मांगे ।
  दीप्त फूट चली दिनकर से ,
  उजियारे दिनकर से मांगे । 

 समय चला है समय से आगे ।

 रुककर भी रुका नही ज़ीवन ,
 प्रेरणा ज़ीवन ज़ीवन से मांगे ।
 अंत नही है यह एक ज़ीवन ,
 ज़ीवन भी है ज़ीवन से आगे ।

 समय चला है समय से आगे ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...