कुछ तुम कहो अपनी ।
कुछ हम कहे अपनी ।
न यह आसमां अपना ।
न यह जमीं अपनी ।
टूटता सितारा आसमां से ,
खोजता जमीं अपनी ।
छोड़ दामन अंबर का ,
बून्द सागर को मचली ।
ज़ज्ब होती हसरत दिल मे ,
हालात की फ़ितरत बदली ।
खोज ख्वाबों से लाया जिसको ,
भोर ख्बाबों से बिखरी बिखरी ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
कुछ हम कहे अपनी ।
न यह आसमां अपना ।
न यह जमीं अपनी ।
टूटता सितारा आसमां से ,
खोजता जमीं अपनी ।
छोड़ दामन अंबर का ,
बून्द सागर को मचली ।
ज़ज्ब होती हसरत दिल मे ,
हालात की फ़ितरत बदली ।
खोज ख्वाबों से लाया जिसको ,
भोर ख्बाबों से बिखरी बिखरी ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
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