रविवार, 14 अप्रैल 2019

मुक्तक 685

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वासना सो जाती है ,
  तब प्रेम उभरता है ।
 कान्हा मन मधुवन में ,
  फिर रास को ठहरता है ।
.... 
ध्यान क्या है ।
विचार क्या हैं ।
ध्यान शिवतत्त्व ।
विचार वासना ।

विचार शून्यता ,
वासना की समाप्ति ।
शांत चित्त ,
शिव सी भक्ति ।
........

वासना ही तो समाप्त होती है ।
तभी शिवत्व की उत्पत्ति होती है ।
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वहम जला, अहम जला ,
जला असत्य का फूंस ।
ज्वाला छूती नभ को ,
सत्य प्रह्लाद सा पूत ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6 (126)

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