शाश्वत सत्य यही,
विधि विधान यही ।
मिलता मान सम्मान,
होता अपमान यहीं।
इस काव्य विधा के मधुवन में,
असल नक़ल की पहचान नही।
...
संत चले अब सत्ता पथ पर।
ऊँट बैठे जाने किस करवट।।
...
विषय है शोध का,स्वर खो रहा विरोध का।
पुतला था ठोस सा,हो रहा क्यों मोम सा ।
.....
इतिहास लिखें न हम कल का।
इतिहास लिखें हम कल का।
राह बदल दें हम सरिता की,
सत्य लिखें हम पल पल का।
...
सत्य की सुगंध हो, होंसले बुलंद हों।
जीत लें असत्य सभी,इतना सा द्वंद हो ।
....
सीखता है वो अपनी हर भूल से।
खिलता फूल मिट्टी की धूल से।
.... "निश्चल" विवेक दुबे...
विधि विधान यही ।
मिलता मान सम्मान,
होता अपमान यहीं।
इस काव्य विधा के मधुवन में,
असल नक़ल की पहचान नही।
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संत चले अब सत्ता पथ पर।
ऊँट बैठे जाने किस करवट।।
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विषय है शोध का,स्वर खो रहा विरोध का।
पुतला था ठोस सा,हो रहा क्यों मोम सा ।
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इतिहास लिखें न हम कल का।
इतिहास लिखें हम कल का।
राह बदल दें हम सरिता की,
सत्य लिखें हम पल पल का।
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सत्य की सुगंध हो, होंसले बुलंद हों।
जीत लें असत्य सभी,इतना सा द्वंद हो ।
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सीखता है वो अपनी हर भूल से।
खिलता फूल मिट्टी की धूल से।
.... "निश्चल" विवेक दुबे...
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