शनिवार, 30 दिसंबर 2017

कलम

हम नही जानते तारीख़ 
स्याही संग क्या कहती है ।
 जानते इतना वो अपना 
रास्ता ख़ुद तय करती है ।
 स्याही क़लम सँग 
चलती है चल पड़ती है ।
 तारीखें लिख तारीखें 
बदल दिया करती है ।
.....
            दिल जब भर आता है,
           आँखों में सैलाब आता है ।
           कलम उठती है हाथ में
           शब्दों से तूफ़ान आता है ।।
...



                कवि देखता दुनिया को,
                 दुनिया की नजर से ।
                 कवि को देखती दुनिया,
                  सिर्फ अपनी नजर से ।।
                    ...विवेक दुबे...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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