हम नही जानते तारीख़
स्याही संग क्या कहती है ।
जानते इतना वो अपना
रास्ता ख़ुद तय करती है ।
स्याही क़लम सँग
चलती है चल पड़ती है ।
तारीखें लिख तारीखें
बदल दिया करती है ।
.....
दिल जब भर आता है,
आँखों में सैलाब आता है ।
कलम उठती है हाथ में
शब्दों से तूफ़ान आता है ।।
...
कवि देखता दुनिया को,
दुनिया की नजर से ।
कवि को देखती दुनिया,
सिर्फ अपनी नजर से ।।
...विवेक दुबे...
.
स्याही संग क्या कहती है ।
जानते इतना वो अपना
रास्ता ख़ुद तय करती है ।
स्याही क़लम सँग
चलती है चल पड़ती है ।
तारीखें लिख तारीखें
बदल दिया करती है ।
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दिल जब भर आता है,
आँखों में सैलाब आता है ।
कलम उठती है हाथ में
शब्दों से तूफ़ान आता है ।।
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कवि देखता दुनिया को,
दुनिया की नजर से ।
कवि को देखती दुनिया,
सिर्फ अपनी नजर से ।।
...विवेक दुबे...
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