उड़ना चाहो आप जो,
पँख दियो फैलाए ।
पँख नही हों उधार के,
पँख अपने लगाए ।
....
जीत है कभी हार है ।
जिंदगी एक श्रृंगार है ।
बंधी प्रीत की डोर से,
यह नही प्रतिकार है ।
.....
ज़िंदगी जब भी तेरा ख्याल आता है ।
यूँ अहसास बनकर तू पास आता है।
जीता हूँ यूँ कुछ पल जिंदगी के मैं ,
जिंदगी कभी तुझे मेरा ख्याल आता है ।
....
शिकायतें
कोई खरीदता ही नहीं
सोचा मुफ्त में दे दूँ इन्हें
मुफ़्त में लेता नहीं कोई
सहेजता हूँ अब खुद ही इन्हें।
....
मिलता नहीं हमें हम सा कोई ,
यह बेदर्द दुनियाँ ज़ालिम बड़ी है।
...."निश्चल" विवेक दुबे..
पँख दियो फैलाए ।
पँख नही हों उधार के,
पँख अपने लगाए ।
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जीत है कभी हार है ।
जिंदगी एक श्रृंगार है ।
बंधी प्रीत की डोर से,
यह नही प्रतिकार है ।
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ज़िंदगी जब भी तेरा ख्याल आता है ।
यूँ अहसास बनकर तू पास आता है।
जीता हूँ यूँ कुछ पल जिंदगी के मैं ,
जिंदगी कभी तुझे मेरा ख्याल आता है ।
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शिकायतें
कोई खरीदता ही नहीं
सोचा मुफ्त में दे दूँ इन्हें
मुफ़्त में लेता नहीं कोई
सहेजता हूँ अब खुद ही इन्हें।
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मिलता नहीं हमें हम सा कोई ,
यह बेदर्द दुनियाँ ज़ालिम बड़ी है।
...."निश्चल" विवेक दुबे..
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