बुधवार, 27 दिसंबर 2017

तिमिर से तम का सफर

तिमिर से तम का सफ़र करता रहा ।
 उजालों से जाने क्यों मैं डरता रहा ।
 देख कर रुसवाईयाँ ज़माने की ,
 सफ़र "निश्चल" तन्हा करता रहा 
   .... "निश्चल" विवेक दुबे...




कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...